इस पोस्ट मे होली के शुभ अवसर पर Long Essay on Holi in Hindi शेयर कर रहे है, जिस निबंध को Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर कर सकते है, तो चलिये अब Long Essay on Holi in Hindi – होली पर विस्तृत निबंध में को जानते है।
होली पर विस्तृत निबंध
Holi Long Essay in Hindi
होली पर विस्तृत निबंध हिंदी में कैसे लिखें ? होली पर विस्तृत हिंदी में निबंध, होली पर विस्तृत भाषण, होली पर निबंध लिखने की कला गूगल पर खूब सर्च की जाती है। स्कूल के लिए बच्चे स्कूल के लिए होली पर निबंध लिखने की तैयारी करते हैं। ऐसे में हम आपके लिए लाये हैं सबसे बेस्ट हिंदी में होली पर विस्तृत निबंध।
प्रस्तावना- भारत विभिन्न विविधताओं और धर्म संप्रदायों का देश है। यहाँ कई तरह के त्यौहार प्रचलित है, होली इनमें से एक है। होली का त्यौहार फाल्गुन माह में मानाया जाता है। इसी दिन हिरणकश्यप की बहन होलिका की जलकर मृत्यु हो गयी थी। इसे रंगों का त्यौहार कहा जाता है। यह बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
होली का त्यौहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार न केवल भारत के हर धर्म व जाति के लोग घुल मिलकर बनाते हैं बल्कि विदेश के लोग भी यहां आकर होली के इस महा त्योहार को मनाते हैं। भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है और यही विभिन्नताएं होली के त्यौहार में भी नजर आती हैं यहां अलग-अलग बोली भाषा परंपराओं के हिसाब से होली का त्योहार मनाने का ढंग थोड़ा बहुत बदल जाता है। ब्रज की होली और लठ मार होली कुछ प्रचलित होली खेलने के तरीकों में से एक है। मगर होली मनाने का मूल भाव नहीं बदलता जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत एवं प्यार और मैत्री भाव को बढ़ाने पर आधारित होता है।
होली कब मनाई जाती है
इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 को है और रंग वाली होली 25 मार्च 2024 को है। ऐसे में बच्चे स्कूल के लिए होली पर निबंध लिखने की तैयारी कर रहे हैं, अगर आप भी अपने बच्चों को होली पर निबंध लिखने की प्रेक्टिस करवा रहे हैं तो हम आपके लिए लाये हैं सबसे बेस्ट होली पर निबंध। आपको नीचे दिए गए प्रारूप के अनुसार होली पर निबंध लिखना होगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं। भारत में पूरे साल कोई ना कोई त्यौहार आता है। हर त्योहार का किसी ने किसी ऋतु या मौसम से इसका संबंध होता है। होली त्योहार भी ऋतु से संबंधित ही है। यह त्यौहार शरद ऋतु की समाप्ति पर और ग्रीष्म ऋतु के आगमन के मध्य का जो समय आता है, उसके बीच ही होली त्योहार को मनाया जाता है। यह ऐसा मौसम होता है, जिसमें ज्यादा सर्दी नहीं नहीं होने की वजह से नहाने में ज्यादा ठंड भी नहीं लगती है।
होली हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है इसलिए इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। ये इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में मनाई जाती है। इस दिन घर पर बनाए गए पकवानों का देवताओं को भोग लगाया जाता है। बिना भोग लगाएं भोजन ग्रहण करना वर्जित है। इस दिन अन्न की आहुति दी जाती है, जिसमें गेहूं की बालियों को होलिका दहन में पकाया जाता है। इस दिन होलिका की परिक्रमा और पूजा की जाती है। इसके बाद सभी एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं।
रीति रिवाज- होली दो दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। पहले दिन शाम को होलिका दहन का कार्यक्रम होता है इसमें सभी लोग कंडे, लकड़ी आदि डालते है तथा इस आग से गन्ने को भूनकर चूसा जाता है। जले हुए कंडे घर लाये जाते है जिनकी घर में महिलाँए पूजा आदि करती हैं। दूसरे दिन बच्चे, जवान और बुजुर्ग एक दूसरे पर रंग गुलाल डालते है और एक दूसरे के गले मिलते है। शाम के वक्त, सभी नये नये कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाकर बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
हमारे देश में होली के त्यौहार को धूमधाम से मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह त्यौहार फागुन मास के पूर्णिमा के दिन पड़ता हैइसे बहुत ही अच्छी तरीके से मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन लोग एक दूसरे के घर पर जाते हैं गुलाल उड़ाते हैं और नाचते है मनोरंजन करते है। हमारे देश में यह त्यौहार मनाया ही जाता है लेकिन हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी यह त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। हमारे देश में होली के मनाने के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है।
होली के दिन लोग अपने घरों में गुलाल, अबीर अन्य प्रकार के रंग लेकर अपने आस-पड़ोस के लोगों के घरों में जाकर उनसे होली की शुभकामनाएं देकर होली मनाते है और होली के दिन अनेकों प्रकार के मिष्ठान आदि बनाया जाता है। प्राचीन काल से ही होली का त्यौहार मनाया जाता आ रहा है। होली के दिन सभी संस्थानों में स्कूलों कॉलेजों अन्य प्रकार के सभी कार्य स्थलों का अवकाश होता है। होली के दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिसे स्कूल के बच्चों द्वारा मनाया जाता है। स्कूल के बच्चों व अन्य सभी प्रकार के कार्य स्थलों पर छोटी होली पर आपस में रंग लगाया जाता है।
भारत एक ऐसा देश है। जहाँ विभिन्न धर्म को मानने वाले लोगों की कमी नहीं है। भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्यौहार होली भी है। जिसे रंगो का त्यौहार कहाँ जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाया जाता है।
होली का त्यौहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है और इसे मनाने वालों की संख्या करोड़ों में है. होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। समाज में चल रही कुरीतियों को समाप्त करने का भी पर्व हम इसे कह सकते है। लोग महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं।
इस पर्व के अवसर पर सभी आयु वर्ग के लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता की चमक लहराती है| यह त्यौहार बिना रंगो के बनाया ही नहीं जा सकता क्योंकि रंग खेलना ही इस त्यौहार की जान है। बच्चे एक-दूसरे पर रंगों से भरे गुब्बारे फेंकते है तथा पिचकारी मारकर एक-दूसरे को पूरा रंग-बिरंगा कर देते है। होली हमारी नई फसलों का भी त्योहार है. इन दिनों हमारी फसलें कटकर कच्चे माल के रूप में तैयार हो जाती है.
पौराणिक कथाएँ- होली के त्यौहार एक भक्त और भगवान की कहानी पर आधारित है। प्राचीन काल में एक राजा हिरणाकश्यप थे जिनके एक संतान प्रहलाद थी जो भगवान विष्णु की दिन रात भक्ति करते थे। लेकिन हिरणाकश्यप को यह बात अच्छी नहीं लगती थी।
हिरणाकश्यप की एक बहन होलिका थी जिसको भगवान ब्रम्हा से यह वरदान प्राप्त था कि वह कभी आग में नही जल सकती। अतः हिरणाकश्यप होलिका को कहता है कि वह प्रहलाद को चिता में लेकर बैठे इससे होलिका को तो कुछ नहीं होगा और प्रहलाद मारा जायेगा। लेकिन भगवान विष्णु की अपने भक्त पर ऐसी कृपा थी कि प्रहलाद को कुछ नहीं होता है और होलिका उस आग में जलकर राख हो जाती है।
होली भारत में सभी संस्कृतियों और राज्यों में व्यापक रूप से मनाई जाती है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार है, है ना, होली अपने साथ शानदार पकवान, नए कपड़े और कई अन्य अच्छी चीजें लाती है। छोटे बच्चे रंगों से घुले पानी के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छे पकवान और आनंद के क्षण साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग इस त्योहार का आनंद लेते हैं ।
होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है।
होली रंगों का त्योहार है इसलिए हर साल के उपलक्ष्य में पूरा बाजार रंगों से भर जाता है। बाजार में प्रत्येक दुकान में रंग ही रंग दिखाई देता है लेकिन कुछ दुकानदार ऐसे भी होते है जो हानिकारक कैमिकल युक्त रंगों को अपने दुकान में रखते है।
भारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल और सरकारी दफ़्तर बंद रहते हैं। इस त्यौहार का सबसे ज्यादा आनन्द बच्चे उठाते है, होली के दिन सभी लोग अपने घरों में अलग-अलग पकवानों को बनाते हैं। होली के दिन सभी लोग एक दुसरे के घर में जाकर पकवान खाते हैं और रंग लगाते है।
यह त्यौहार बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के दिन सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर जा कर एक दूसरे पर रंग लगाते हैं। होली की खुशियां को बांटने के लिए सभी हिन्दू धर्म के लोग आस पड़ोस के लोगों के घरों में जाकर रंगों से खेलते है,
होली से एक दिन पहले लोग होलिका दहन मनाते हैं। होली में रंग लगाने का चलन राधा कृष्ण की कहानी से शुरू हुआ। होली का त्योहार दैत्यराज हिरण्यकश्यप के धर्मनिष्ठ पुत्र प्रह्लाद और उनकी अनुजा होलिका से संबंधित घटना की स्मृति में मनाया जाता है। होली पर नए वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है तथा प्रसाद वितरण किया जाता है| हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी होली के त्योहार से जुड़ी है।
जहां पर हिंदू लोग रहते हैं। इस त्यौहार का प्रारंभ बसंत पंचमी के दिन एक रेड गाड़ने से शुरू करते हैं बसंत पंचमी के एक महीने 10 दिन के बाद यह त्योहर आता है। इसकी शुरुआत होलिका दहन से की जाती है जिससे हमारे भारत में बहुत ही मान सम्मान के साथ किया जाता है। इस त्यौहार में लोग ढोल बाजा और भी वह सारी चीजें बजाते हैं जिसे पर वह नाच सके झूम सके मनोरंजन कर सके। इस त्यौहार के दिन सभी लोग एक दूसरे के घर पर जाते हैं और एक दूसरे को कलर लगाकर गले मिलते हैं।
होली का त्यौहार सभी लोगों के आपसी मतभेद को खत्म करता है। यह ऐसा त्यौहार है जो सभी लोगों के आपस में भेदभाव अमीरी-गरीबी, क्षेत्र, जाती, धर्म, आदि को भूलकर एक-दूसरे पर रंग डालने का उपदेश देता है।
होली मनाने के पीछे पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकशिपु असुर जाति का अत्याचारी और निर्दयी राजा था। उसके अत्याचार के कारण वहां की प्रजा भी बहुत दुखी थी। हिरण्यकशिपु को भगवान से वरदान मिला था की कि कोई नहीं मार सकता है। इसी के घमंड में अँधा होकर उसने स्वयं को भगवान मान लिया और अपनी प्रजा को भी अपनी पूजा करने के लिए विवश किया।
हिरण्यकशिपु के पुत्र का नाम प्रहलाद था। वहा भगवान् विष्णु का बहुत बड़ा उपासक था। प्रह्लाद अपने पिता द्वारा स्वय को भगवान मानने की बात का विरोध किया करता था, जिसके कारण हिरण्यकशिपु क्रोधित हो जाता था। प्रहलाद अपने पिता को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए कहता और भगवान विष्णु की भक्ति करने के लिए बोलता था। मगर हिरण्यकशिपु को अहंकार और शक्ति का इतना घमंड हो गया की वह खुद को भगवान मानता था।
हिरण्यकशिपु को जब पता चला की उसका पुत्र प्रहलाद दिन रात भगवान् विष्णु की आरधना करता है। अपने पिता की नहीं तब उसे इतना क्रोध आया की उसने प्रहलाद को मरने के लिए कई षड्यंत्र रचे मगर वह असफल रहा। अंत में उसे अपनी बहन होलिका की याद आई। होलिका को वरदान मिला था की वहा आग में नहीं जल सकती है। इसी का फायदा उठा कर उसने प्रहलाद को आग में जलने की चाल चली और अपनी बहन के पास गया और उसको बोला की तुम प्रहलाद गोद में लेकर आग में बैठ जाना।
तब होलिका हिरण्यकशिपु के कहे अनुसार प्रहलाद को गोद में लेकर लकडियो में ढेर पर बैठ गयी। मगर प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था तो उसे भला क्या हो सकता था। उल्टा होलिका अपने वरदान में मिली आग में ही जल कर राख हो गयी और भगवान् विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया। इसी घटना को हम सब होली के दिन यानि होलिका दहन के रूप में मनाते है। इसके बाद भगवान् विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का भी अंत कर उसके आतंक से सबको मुक्त किया और हिरण्यकशिपु को उसके बुरे कर्मो की सजा मिली। इस तरह धर्म की अधर्म पर विजय हुई।
होलिका दहन
होली के दिन के समय सभी लोग खरीदारी करने में व्यस्त रहते है। इस दिन बाजार में बहुत भीड़ होती है लोग गुलाल, पिचकारियाँ, मिठाई, और उपहार ख़रीदने में लगे रहते है। पूरा बाजार रंगों और मिठाइयों से सजा रहता है
होली के दिन शाम को होलिका दहन होता है इसके लिए लोग होली वाली जगह पर एकत्रित हो जाते है। होलिका दहन एक बड़ी खुली जगह पर किया जाता है। वहा कुछ सुखी लकडियो और उसके बीच सुखा पेड़ लगाया जाता है। होलिका में गोबर के बने उपलों की माला बनाकर भी डाली जाती है। शाम को होलिका दहन होने से पहले स्त्रिया पूजा अर्चना करती है।
इसके बाद तय समय और मुहर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के कुछ समय बाद सुख पेड़ को कुछ लोग रस्सी से बांधकर बहार निकलते है फिर आग थोड़ी कम होने पर लोग गेहूं की बालियों को होलिका की आग में भूनते है और उसमे से कुछ अंगारे घर लेकर जाते है फिर सभी लोग घर जाकर एक साथ भोजन करते है।
होली कैसे मनाई जाती है
होली को लेकर सभी काफी उत्साहित हैं। वयस्क भी बच्चे बन जाते हैं, हम उम्र के चेहरों को इस तरह से रंगते हैं कि पहचानना मुश्किल हो जाता है, वयस्क गुलाल महसूस करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊंच-नीच का फर्क भूलकर सभी होली में खुशी-खुशी नाचते नजर आते हैं। नृत्य करने का एक और कारण मारिजुआना और ठंडाई है, इसे विशेष रूप से होली पर पिया जाता है। जब घर की महिलाएं खाना बनाकर दोपहर में होली खेलना शुरू करती हैं तो बच्चे सुबह उठते ही उत्साह के साथ मैदान में जाते हैं।
होली के दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई आदि पकवान बनाये जाते हैं। होली पर सभी लोग हँसी और ख़ुशी के साथ एक दुसरे को रंग लगाकर होली त्यौहार का पूरा आनंद लेते है, होली में लोग अलग अलग रंगो से खेलते है और ये त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी-खुशी इस त्यौहार को मनाते है।
होली में रंगों का महत्त्व
होली में रंगों के महत्व कि शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मथुरा और वृंदावन में खेली जाने वाली होली राधा और कृष्ण के प्यार की कहानी और अनेकों रास लीलाओं से जुड़ा हुआ है जिसमें बसंत महीने के मनमोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डाल कर गर्मियों के मौसम का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार मनाने के लिए देश विदेश से लोग वृंदावन और मथुरा पहुंचते है जहा की लट्ठ मार होली विश्व प्रसिद्ध है।
इस त्यौहार में लोग अपने सारे पुराने बैरभाव, गिले-शिकवे त्याग कर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं। होली “प्यार में एक दूसरे को रंगने” का प्रतीक है। हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है। होली के त्यौहार को भारत व अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हम सभी मनुष्य है और हम सभी समान है। हममें से कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है। होली आने के कारण जो लोग दुश्मनी निभा रहे थे, वो दुश्मनी खत्म करके एक-दूसरे की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाते है। होली न केवल भारत बल्कि विश्व अनेक देशो में भी खेली जाती है।
इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।
होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।
होली का त्योहार मौज-मस्ती व खुशियों का त्योहार है । यह हर्षोल्लास परस्पर मिलन व एकता का प्रतीक है । इस पर्व के अवसर पर लोग आपसी वैमनस्य को भुलाकर मित्र बन जाते हैं । यह त्योहार अमीर और गरीब के भेद को कम कर वातावरण में प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करता है । नि:संदेह होली का पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर है ।
जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, हमारा उत्साह बढ़ता जाता है। होली वस्तुतः भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जो रंग विविधता में एकता का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे के प्रति प्यार और स्नेह फैलाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और एक-दूसरे के चेहरे को मीठा करने के लिए लोक गीत गाए जाते हैं।
Holi Long Essay in Hindi
होली में बड़े छोटे सभी मिल कर हर्ष उल्लास के साथ होली का त्यौहार मानते है भारत में अलग-अलग जगह अलग-अलग अंदाज़ में होली मनाई जाती है मगर होली का संदेश सिर्फ एक ही होता है प्यार ,भाईचारा बढ़ाना और सारे गिले शिकवे मिटा कर प्रेम पूर्वक रहना है।
बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे।
इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।
होली बुराई पर अच्छाई कि जीत को उत्साह से मनाने का नाम है। लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माईने बदल गए है। जहाँ अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। वहीँ आज ज़्यादातर जनसंख्या केवल खाने पीने और मनोरंजन के लिए इसका इंतज़ार करती है जिसमे युवाओ का वर्ग ख़ास तौर पर शामिल है। मदिरा का सेवन और शोर गुल ही मनोरंजन बन चूका जो हमारे भविष्य के लिए खतरे कि घंटी है।
यह पर्व लोगों में भाईचारे और प्रेम की भावना को पैदा करता है। होली को हर वर्ष बड़े धूम-धाम, नाच-गाने और रंगों के साथ मनाया जाता है। इन दिनों किसानों की फसलें पक जाती है और चारों ओर होली को लेकर पूरे देश में खुशियो का ही माहौल छा जाता है. इस त्यौहार को प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। होली को मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी होली को मनाते हैं।
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होलिका दहन पर पूजा करने की विधि
होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।
होलिका दहन करने से पहले विधिवत पूजा होनी है और दहन के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है फिर होलिका को अग्नि दी जाती है। पूजा के लिए इस दिन जल, रोली, फूल माला, चावल गुड़ और नई पकी फसल के पौधों की बालियां रखें। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं होलिका को अर्पित की जाती है। इसके बाद तीन या सात बार होलिका की परिक्रमा होनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल के दौरान करना चाहिए और ध्यान रखें कि जब भद्राकाल चल रहा हो तो इस दौरान होलिका दहन नहीं होना चाहिए। भद्राकाल के समय होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता है।
इस दिन चारों ओर रंग-बिरंगे चेहरे दिखाई पड़ते हैं । पूरा वातावरण ही रंगीन हो जाता है । दोपहर बाद सभी नए वस्त्र धारण करते हैं । अनेक स्थानों पर होली मिलन समारोह आयोजित किए जाते हैं । इसके अतिरिक्त लोग मित्रों व सबंधियों के पास जाकर उन्हें गुलाल व अबीर का टीका लगाते हैं तथा एक-दूसरे के गले मिलकर शुभकामनाएँ देते हैं ।
भारत में होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। फागुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है, जबकि उसके अगले दिन लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली का त्योहार मानते हैं। होली रंगों का त्योहार है जिसे भारत समेत पूरे विश्व में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। होली का पर्व एकता और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन लोग धर्म जाति और भेदभाव भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। होली पर गुजिया और पकोड़े बड़े चाव से खाए जाते हैं। कुछ लोग होली पर भांग भी पीते हैं। बच्चे होली पर खूब मौज मस्ती करते हैं।
- होली पर निबंध कक्षा 5
- होली पर निबंध कक्षा 4
- होली पर निबंध कक्षा 3
- होली पर निबंध कक्षा 2
- होली पर निबंध कक्षा एक
- होली पर निबंध 300 शब्दो मे
मथुरा और वृन्दावन में होली त्यौहार
Holi in Mathura and Vrindavan in Hindi
ऐसे तो होली पूरे हिंदुस्तान में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन वृंदावन तथा मथुरा में होली मनाने का रिवाज बड़ा ही अद्भुत है। यहां एक या दो नहीं बल्कि पूरे 15 दिनों तक होली मनाई जाती है। पारंपरिक संगीत और तैयारियों के साथ कई दिनो पूर्व ही होली मनाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। देश विदेश से होली पर मथुरा और वृंदावन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है।
होली के त्यौहार में बच्चे बूढ़े सभी बहुत ज्यादा खुश रहते हैं मजे करते हैं। इस त्योहार में खासकर के बच्चे बहुत ही ज्यादा खुश रहते हैं । होली का यह त्यौहार बसंत पंचमी के दिन से शुरुआत होती है और उस दिन पर लोग गुलाल पहली बार उड़ाते हैं। इस त्यौहार को इस तरह मनाया जाता है कि लोग अपने पुराने गिले-शिकवे बुलाकर एक दूसरे के फिर से दोस्त बन जाए। हमारे देश में होली के त्यौहार को बहुत ही पवित्र मानते हैं और इसकी पूजा भी करते हैं होली के दिन जिसे होलिका दहन के नाम से जानते हैं।
होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।
होली के उत्सव के आगमन के लिए हर कोई उत्साहित रहते है, होली के दिन सभी लोग इकट्ठा होकर मौज मस्ती करते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। होली के दिन अलग अलग रंगों से खेलते है उसी में एक लठ मार होली भी होती है। होली बच्चों को बहुत पसंद हैं। इसलिए बच्चे के लिए होली सबसे ज्यादा मौज-मस्ती ओर खुशियों मनाने वाला त्यौहार हैं।
होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।
रंग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की रंग किसी व्यक्ति के आंख, कान, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर ना लगे। यदि किसी को रंगों से एलर्जी हो तो उसे रंग नहीं लगाना चाहिए। सड़क पर जा रहे लोगों एवं वाहनों के ऊपर किसी भी प्रकार के रंग एवं पानी नहीं फेंकना चाहिए नहीं तो सड़क दुर्घटना होने की संभावना होती है।
किसी के ऊपर धूल एवं मिट्टी नहीं फेंकना चाहिए। होली खेलने के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थ (जो त्वचा को नुकसान पहुंचाएं) का उपयोग नहीं करना चाहिए। होली खेलने के लिए ग्रीस तथा पेंट जैसे हानिकारक पदार्थों का उपयोग बिल्कुल भी ना करें।
कुछ लोग जान-बूझकर हल्के रंगो के बजाए गहरे कैमिकल युक्त रंग दूसरों के ऊपर लगा देते है। इससे भी लोगों को काफी सारा नुकसान तथा परेशानी का सामना करना पड़ता है। होली केवल एक त्योहार ही नहीं बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ अहम हिस्सा है.
यह यह रंगों का एक विश्व प्रसिद्ध पर्व है। होली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है जिसे हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। सम्पूर्ण भारत में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
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होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।
होली का त्योहार प्रेम और सद्भावना का त्योहार है परंतु कुछ असामाजिक तत्व प्राय: अपनी कुत्सित भावनाओं से इसे दूषित करने की चेष्टा करते हैं । वे रंगों के स्थान पर कीचड़, गोबर अथवा वार्निश आदि का प्रयोग कर वातावरण को बिगाड़ने की चेष्टा करते हैं ।
इस प्राचीन परंपरा तथा इसी तरह की अन्य शुभ परंपराओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है । इस अवसर पर मदिरापान भी त्योहार की छवि को धूमिल करता है । अत: इस पर्व की मूल परंपरा की पवित्रता का पूर्ण निर्वाह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है । हमारी यह भी जिम्मेदारी है कि हममें से प्रत्येक होली के बहाने एक नवीन उत्साह से भरकर स्वयं को समाज के उत्थान के प्रति समर्पित कर दें ।
दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं, सभी लोगों को होली के दिन गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। हम अलग-अलग रंगों जैसे नीला, लाल, हरा, नारंगी आदि में होली खेलते हैं। होली एकजुटता का पर्व है। आजकल रंगों के नाम पर होली के त्यौहार पर हानिकारक रसायनों से रंगों का उपयोग करने लगे हैं। जो की स्किन और आँखों के लिए हानिकारक होते हैं।
होली के त्यौहार में कहीं-कहीं पर ढोल बाजे बजाए जाते हैं और कहीं पर सिर्फ सूखे गुलाब को लगाकर होली को मनाया जाता है और कहीं पर लोकगीत गाकर लोग नाचते हैं झूमते हैं। और इसमें लोग यह भी बोलते हैं कि “बुरा ना मानो होली” है। होली के समय में खेतों में सरसों के फूल खिले रहते हैं आजू-बाजू बहुत ही रोमांचक माहौल हुआ रहता है इसीलिए हमारे भारत में यह त्योहार बहुत ही प्रसिद्ध है क्योंकि इस दिन लोग बहुत ही ज्यादा उत्साहित रहते हैं और अपने मन का मैल मिटा कर एक दूसरे से अच्छे तरीके से रंग लगाते हैं और यह त्यौहार मनाते हैं।
होली का पावन पर्व यह संदेश लाता है की मनुष्य अपने ईर्ष्या, द्वेष तथा परस्पर वैमनस्य को भुलाकर समानता व प्रेम का दृष्टिकोण अपनाएँ । मौज-मस्ती व मनोरंजन के इस पर्व में हँसी-खुशी सम्मिलित हों तथा दूसरों को भी सम्मिलित होने हेतु प्रेरित करें । यह पर्व हमारी संस्कृतिक विरासत है । हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम मूल भावना के बनाए रखें ताकि भावी पीढ़ियाँ गौरवान्वित हो सकें ।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। इस दिन संध्या के समय जगह-जगह सम्मेलनों और गोष्ठिओं का आयोजन होता है, जहाँ रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। इस त्यौहार में लोग अपने सारे पुराने बैरभाव, गिले-शिकवे त्याग कर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं। इस अवसर पर कई स्थानों पर हास्य कवि सम्मेलनों का आयोजन होता है जो इस पर्व की सार्थकता में चार चाँद लगा देता है । विभिन्न टी.वी. चैनल इनका प्रसारण कर अपने दर्शकों को आह्लादित करते हैं ।
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होली पर ध्यान रखने योग्य कुछ जरूरी बातें और सावधानियां
- होली में रंगों का बहुत महत्व होता है इसलिए सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले रंग पूरी तरह प्राकृतिक हो केमिकल द्वारा बनाए जाने वाले रंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- होली खेलने से व खेलते समय अपनी स्किन और आंखों का ख्याल रखें स्किन में ऑयल या बॉडी लोशन का प्रयोग करें।
- होली में गीले व पक्के रंगों की जगह सूखे रंगों का और कम पानी का प्रयोग करना चाहिए इससे हमारी सेहत को नुकसान भी नहीं होता और पानी के दुरुपयोग से भी बचा जा सकता है।
- बच्चों के साथ होली खेलते समय उनका खास ख्याल रखना चाहिए जिससे उनकी आंखों का मुंह में कोई रंग ना पहुंच पाए।
- होली के दिन शराब आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
होली का महत्व
भारत में मनाए जाने वाले प्रत्येक प्राचीन त्यौहारों और उत्सवों के पीछे कोई न कोई गूढ़ रहस्य अवश्य छुपा होता है। होली का उत्सव बुराई पर अच्छा के जीत को दर्शाता है। यह त्यौहार समस्त मानव जाति को यह बताता है कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। होली से जुड़े हुए प्राचीन कहानियां अथवा कथाओं के माध्यम से लोगों को सत्य के पथ पर चलते रहने का एक उत्कृष्ट संदेश लोगों को प्राप्त होता है।
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Long Essay on Holi in Hindi FAQ’s
होली का क्या अर्थ है?
उत्तर – होली का त्यौहार बसंत के आगमन और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसे एक खेल की मान्यता के रूप में भगवान कृष्ण ने दिया, जो अपनी पत्नी राधा और गोपियों, या दूधियों के साथ खेला करते थे।
होली इस वर्ष (2024) में किस दिन मनाई जायेगी ?
इस साल 2024 में होली का पर्व 25 मार्च को मनाया जायेगा।
होली के लिए कितने दिन का अवकाश दिया जाता है ?
होली के लिए 2 दिन का अवकाश दिया जाता है।
होली के दिन हमे कैसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए ?
सभी लोगों को होली पर बिना केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
होलिका दहन किस दिन किया जाता है?
होलिका दहन फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है.
होली को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
इस त्योहार का विश्व प्रसिद्ध नाम होली ही है विदेशों में भी से त्योहार को होली नाम से जाना जाता है। लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में इसे आका एवं बंगाल व उड़ीसा में इसे डोल पूर्णिमा नाम से सेलिब्रेट किया जाता है।
होली का इतिहास क्या है?
उत्तर – मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप की हत्या कर दी थी। क्यूंकि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और उसका पुत्र प्रह्लाद भगवन विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका नाराज होकर प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। होलिका आग में भस्म हो गई। तभी से इस त्यौहार की मान्यता होली के रूप में है।
होलिका को कौन सा वरदान मिला था?
अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था.
होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं ?
होली पर सभी लोग अपने घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई, आदि पकवान बनाते हैं।
रंगो का त्यौहार होली पर एक निबंध लिखिए। कैसे और क्यों मनाई जाती है ?
इस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगकर एक दूसरे के ऊपर रंग-गुलाल लगाते हैं। इस दिन शाम के वक्त लोग नए-नए कपड़े पहन कर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन लोगअपने घर में में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
भारत में होली अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है ?
भारत में अलग -अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होली को मनाया जाता है जैसे – हरियाणा में धुलेंडी होली, बंगाल में डोल पूर्णिमा,राजस्थान की तमाशा होली, मध्य प्रदेश की भगौरिया होली, पंजाब में होला मोहल्ला का मेला, महाराष्ट्र में रंगपंचमी आदि इसमें प्रसिद्ध हैं।
होली पर हमे कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना होता है ?
होली मनाते समय लोगों को कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए जिसकी सूची नीचे दी जा रही है।
- होली मनाते समय सभी लोग कांच वाले रंगों का प्रयोग ना करें।
रोड पर चलते वाहनों पर पानी से भरे गुब्बारों व पिचकारी को ना मारे। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। - होली खेलते समय अपनी आँखों को बचाये व रंगों को लगाते समय चश्मे का प्रयोग करें.
- होली के दिन ऐल्कोहॉल का सेवन कर के वाहनों को ना चलाएं.
होली का क्या महत्व है?
होली का महत्व - बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक होली का सामाजिक महत्व भी है। यह एक ऐसा पर्व होता है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन अगर किसी को लाल रंग का गुलाल लगाया जाए तो सभी तरह के मनभेद और मतभेद दूर हो जाते हैं। क्योंकि लाल रंग प्यार और सौहार्द का प्रतीक होता है।
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