इस पोस्ट मे होली के शुभ अवसर पर Happy Holi के लिए Holi Essay in Hindi 1400 Words शेयर कर रहे है, जिस निबंध को Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर कर सकते है, तो चलिये अब 1400 Words On Holi In Hindi Essay – होली पर निबंध 1400 शब्द में को जानते है।
होली पर निबंध 1400 शब्द
Essay on Holi in Hindi 1400 words
इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 को है और रंग वाली होली 25 मार्च 2024 को है। ऐसे में बच्चे स्कूल के लिए होली पर निबंध लिखने की तैयारी कर रहे हैं, अगर आप भी अपने बच्चों को होली पर निबंध लिखने की प्रेक्टिस करवा रहे हैं तो हम आपके लिए लाये हैं सबसे बेस्ट होली पर निबंध। आपको नीचे दिए गए प्रारूप के अनुसार होली पर निबंध लिखना होगा।
भारत एक ऐसा देश है। जहाँ विभिन्न धर्म को मानने वाले लोगों की कमी नहीं है। भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्यौहार होली भी है। जिसे रंगो का त्यौहार कहाँ जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाया जाता है।
इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।
होली भारत में सभी संस्कृतियों और राज्यों में व्यापक रूप से मनाई जाती है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार है, है ना, होली अपने साथ शानदार पकवान, नए कपड़े और कई अन्य अच्छी चीजें लाती है। छोटे बच्चे रंगों से घुले पानी के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छे पकवान और आनंद के क्षण साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग इस त्योहार का आनंद लेते हैं ।
होली का त्यौहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है और इसे मनाने वालों की संख्या करोड़ों में है. होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। समाज में चल रही कुरीतियों को समाप्त करने का भी पर्व हम इसे कह सकते है। लोग महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं।
इस पर्व के अवसर पर सभी आयु वर्ग के लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता की चमक लहराती है| यह त्यौहार बिना रंगो के बनाया ही नहीं जा सकता क्योंकि रंग खेलना ही इस त्यौहार की जान है। बच्चे एक-दूसरे पर रंगों से भरे गुब्बारे फेंकते है तथा पिचकारी मारकर एक-दूसरे को पूरा रंग-बिरंगा कर देते है। होली हमारी नई फसलों का भी त्योहार है. इन दिनों हमारी फसलें कटकर कच्चे माल के रूप में तैयार हो जाती है.
होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है।
होली से एक दिन पहले लोग होलिका दहन मनाते हैं। होली में रंग लगाने का चलन राधा कृष्ण की कहानी से शुरू हुआ। होली का त्योहार दैत्यराज हिरण्यकश्यप के धर्मनिष्ठ पुत्र प्रह्लाद और उनकी अनुजा होलिका से संबंधित घटना की स्मृति में मनाया जाता है। होली पर नए वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है तथा प्रसाद वितरण किया जाता है| हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी होली के त्योहार से जुड़ी है।
होली रंगों का त्योहार है इसलिए हर साल के उपलक्ष्य में पूरा बाजार रंगों से भर जाता है। बाजार में प्रत्येक दुकान में रंग ही रंग दिखाई देता है लेकिन कुछ दुकानदार ऐसे भी होते है जो हानिकारक कैमिकल युक्त रंगों को अपने दुकान में रखते है।
भारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल और सरकारी दफ़्तर बंद रहते हैं। इस त्यौहार का सबसे ज्यादा आनन्द बच्चे उठाते है, होली के दिन सभी लोग अपने घरों में अलग-अलग पकवानों को बनाते हैं। होली के दिन सभी लोग एक दुसरे के घर में जाकर पकवान खाते हैं और रंग लगाते है।
यह त्यौहार बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के दिन सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर जा कर एक दूसरे पर रंग लगाते हैं। होली की खुशियां को बांटने के लिए सभी हिन्दू धर्म के लोग आस पड़ोस के लोगों के घरों में जाकर रंगों से खेलते है,
होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।
होली का त्यौहार सभी लोगों के आपसी मतभेद को खत्म करता है। यह ऐसा त्यौहार है जो सभी लोगों के आपस में भेदभाव अमीरी-गरीबी, क्षेत्र, जाती, धर्म, आदि को भूलकर एक-दूसरे पर रंग डालने का उपदेश देता है।
- होली पर निबंध 450 शब्दो मे
- होली पर निबंध 400 शब्दो मे
- होली पर निबंध 350 शब्द
- होली पर निबंध 300 शब्दो मे
- होली पर निबंध 250 शब्द
- होली पर निबंध 150 शब्दो मे
- होली पर निबंध 200 शब्दो मे
- होली पर निबंध 100 शब्दो मे
- होली पर निबंध 50 शब्दो मे
होली कैसे मनाई जाती है
होली को लेकर सभी काफी उत्साहित हैं। वयस्क भी बच्चे बन जाते हैं, हम उम्र के चेहरों को इस तरह से रंगते हैं कि पहचानना मुश्किल हो जाता है, वयस्क गुलाल महसूस करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊंच-नीच का फर्क भूलकर सभी होली में खुशी-खुशी नाचते नजर आते हैं। नृत्य करने का एक और कारण मारिजुआना और ठंडाई है, इसे विशेष रूप से होली पर पिया जाता है। जब घर की महिलाएं खाना बनाकर दोपहर में होली खेलना शुरू करती हैं तो बच्चे सुबह उठते ही उत्साह के साथ मैदान में जाते हैं।
होली के दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई आदि पकवान बनाये जाते हैं। होली पर सभी लोग हँसी और ख़ुशी के साथ एक दुसरे को रंग लगाकर होली त्यौहार का पूरा आनंद लेते है, होली में लोग अलग अलग रंगो से खेलते है और ये त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी-खुशी इस त्यौहार को मनाते है।
इस त्यौहार में लोग अपने सारे पुराने बैरभाव, गिले-शिकवे त्याग कर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं। होली “प्यार में एक दूसरे को रंगने” का प्रतीक है। हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है। होली के त्यौहार को भारत व अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हम सभी मनुष्य है और हम सभी समान है। हममें से कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है। होली आने के कारण जो लोग दुश्मनी निभा रहे थे, वो दुश्मनी खत्म करके एक-दूसरे की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाते है। होली न केवल भारत बल्कि विश्व अनेक देशो में भी खेली जाती है।
होली का त्योहार मौज-मस्ती व खुशियों का त्योहार है । यह हर्षोल्लास परस्पर मिलन व एकता का प्रतीक है । इस पर्व के अवसर पर लोग आपसी वैमनस्य को भुलाकर मित्र बन जाते हैं । यह त्योहार अमीर और गरीब के भेद को कम कर वातावरण में प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करता है । नि:संदेह होली का पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर है ।
इस दिन चारों ओर रंग-बिरंगे चेहरे दिखाई पड़ते हैं । पूरा वातावरण ही रंगीन हो जाता है । दोपहर बाद सभी नए वस्त्र धारण करते हैं । अनेक स्थानों पर होली मिलन समारोह आयोजित किए जाते हैं । इसके अतिरिक्त लोग मित्रों व सबंधियों के पास जाकर उन्हें गुलाल व अबीर का टीका लगाते हैं तथा एक-दूसरे के गले मिलकर शुभकामनाएँ देते हैं ।
- होली पर निबंध 1200 शब्दो मे
- होली पर निबंध 1100 शब्दो मे
- होली पर निबंध 1000 शब्दो मे
- होली पर निबंध 900 शब्द
- होली पर निबंध 800 शब्द
- होली पर निबंध 700 शब्दो मे
- होली पर निबंध 600 शब्दो मे
- होली पर निबंध 500 शब्दो मे
Holi Essay in Hindi 1400 words
जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, हमारा उत्साह बढ़ता जाता है। होली वस्तुतः भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जो रंग विविधता में एकता का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे के प्रति प्यार और स्नेह फैलाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और एक-दूसरे के चेहरे को मीठा करने के लिए लोक गीत गाए जाते हैं।
बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे।
इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।
होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।
भारत में होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। फागुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है, जबकि उसके अगले दिन लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली का त्योहार मानते हैं। होली रंगों का त्योहार है जिसे भारत समेत पूरे विश्व में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। होली का पर्व एकता और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन लोग धर्म जाति और भेदभाव भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। होली पर गुजिया और पकोड़े बड़े चाव से खाए जाते हैं। कुछ लोग होली पर भांग भी पीते हैं। बच्चे होली पर खूब मौज मस्ती करते हैं।
होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।
होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।
होली के उत्सव के आगमन के लिए हर कोई उत्साहित रहते है, होली के दिन सभी लोग इकट्ठा होकर मौज मस्ती करते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। होली के दिन अलग अलग रंगों से खेलते है उसी में एक लठ मार होली भी होती है। होली बच्चों को बहुत पसंद हैं। इसलिए बच्चे के लिए होली सबसे ज्यादा मौज-मस्ती ओर खुशियों मनाने वाला त्यौहार हैं।
रंग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की रंग किसी व्यक्ति के आंख, कान, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर ना लगे। यदि किसी को रंगों से एलर्जी हो तो उसे रंग नहीं लगाना चाहिए। सड़क पर जा रहे लोगों एवं वाहनों के ऊपर किसी भी प्रकार के रंग एवं पानी नहीं फेंकना चाहिए नहीं तो सड़क दुर्घटना होने की संभावना होती है।
किसी के ऊपर धूल एवं मिट्टी नहीं फेंकना चाहिए। होली खेलने के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थ (जो त्वचा को नुकसान पहुंचाएं) का उपयोग नहीं करना चाहिए। होली खेलने के लिए ग्रीस तथा पेंट जैसे हानिकारक पदार्थों का उपयोग बिल्कुल भी ना करें।
कुछ लोग जान-बूझकर हल्के रंगो के बजाए गहरे कैमिकल युक्त रंग दूसरों के ऊपर लगा देते है। इससे भी लोगों को काफी सारा नुकसान तथा परेशानी का सामना करना पड़ता है। होली केवल एक त्योहार ही नहीं बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ अहम हिस्सा है.
होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।
यह यह रंगों का एक विश्व प्रसिद्ध पर्व है। होली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है जिसे हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। सम्पूर्ण भारत में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
होली बुराई पर अच्छाई कि जीत को उत्साह से मनाने का नाम है। लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माईने बदल गए है। जहाँ अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। वहीँ आज ज़्यादातर जनसंख्या केवल खाने पीने और मनोरंजन के लिए इसका इंतज़ार करती है जिसमे युवाओ का वर्ग ख़ास तौर पर शामिल है। मदिरा का सेवन और शोर गुल ही मनोरंजन बन चूका जो हमारे भविष्य के लिए खतरे कि घंटी है।
दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं, सभी लोगों को होली के दिन गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। हम अलग-अलग रंगों जैसे नीला, लाल, हरा, नारंगी आदि में होली खेलते हैं। होली एकजुटता का पर्व है। आजकल रंगों के नाम पर होली के त्यौहार पर हानिकारक रसायनों से रंगों का उपयोग करने लगे हैं। जो की स्किन और आँखों के लिए हानिकारक होते हैं।
- होली पर निबंध 450 शब्दो मे
- होली पर निबंध 400 शब्दो मे
- होली पर निबंध 350 शब्द
- होली पर निबंध 300 शब्दो मे
- होली पर निबंध 250 शब्द
- होली पर निबंध 150 शब्दो मे
- होली पर निबंध 200 शब्दो मे
- होली पर निबंध 100 शब्दो मे
- होली पर निबंध 50 शब्दो मे
यह पर्व लोगों में भाईचारे और प्रेम की भावना को पैदा करता है। होली को हर वर्ष बड़े धूम-धाम, नाच-गाने और रंगों के साथ मनाया जाता है। इन दिनों किसानों की फसलें पक जाती है और चारों ओर होली को लेकर पूरे देश में खुशियो का ही माहौल छा जाता है. इस त्यौहार को प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। होली को मार्च के महीने में मनाया जाता है। हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी होली को मनाते हैं।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। इस दिन संध्या के समय जगह-जगह सम्मेलनों और गोष्ठिओं का आयोजन होता है, जहाँ रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। इस त्यौहार में लोग अपने सारे पुराने बैरभाव, गिले-शिकवे त्याग कर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं। इस अवसर पर कई स्थानों पर हास्य कवि सम्मेलनों का आयोजन होता है जो इस पर्व की सार्थकता में चार चाँद लगा देता है । विभिन्न टी.वी. चैनल इनका प्रसारण कर अपने दर्शकों को आह्लादित करते हैं ।
होली का त्योहार प्रेम और सद्भावना का त्योहार है परंतु कुछ असामाजिक तत्व प्राय: अपनी कुत्सित भावनाओं से इसे दूषित करने की चेष्टा करते हैं । वे रंगों के स्थान पर कीचड़, गोबर अथवा वार्निश आदि का प्रयोग कर वातावरण को बिगाड़ने की चेष्टा करते हैं ।
इस प्राचीन परंपरा तथा इसी तरह की अन्य शुभ परंपराओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है । इस अवसर पर मदिरापान भी त्योहार की छवि को धूमिल करता है । अत: इस पर्व की मूल परंपरा की पवित्रता का पूर्ण निर्वाह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है । हमारी यह भी जिम्मेदारी है कि हममें से प्रत्येक होली के बहाने एक नवीन उत्साह से भरकर स्वयं को समाज के उत्थान के प्रति समर्पित कर दें ।
होली का पावन पर्व यह संदेश लाता है की मनुष्य अपने ईर्ष्या, द्वेष तथा परस्पर वैमनस्य को भुलाकर समानता व प्रेम का दृष्टिकोण अपनाएँ । मौज-मस्ती व मनोरंजन के इस पर्व में हँसी-खुशी सम्मिलित हों तथा दूसरों को भी सम्मिलित होने हेतु प्रेरित करें । यह पर्व हमारी संस्कृतिक विरासत है । हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम मूल भावना के बनाए रखें ताकि भावी पीढ़ियाँ गौरवान्वित हो सकें ।
तो आप सभी को यह आर्टिकल होली पर निबंध - Holi Essay on Holi in Hindi 1400 words जरूर पसंद आया होगा, जिसे आप दोस्तो के साथ शेयर कर सकते है और अपने क्लास मे होली पर 1400 शब्दो मे निबंध भी लिख सकते है। तो आपको यह आर्टिकल कैसा लगा, कमेन्ट मे जरूर बताए, और इस निबंध होली पर निबंध 1400 शब्द - Holi Essay on Holi in Hindi 1400 words को शेयर भी जरूर करे।
- Holi Essay in Hindi for Class 12
- Holi Essay in Hindi for Class 11
- Holi Essay in Hindi for Class Ten
- Holi Essay in Hindi for Class Nine
- Holi Essay in Hindi for Class 8
- Holi Essay in Hindi for Class 7
- Holi Essay in Hindi for Class Six
Holi Essay on Holi in Hindi 1400 words FAQ’s
होली का क्या अर्थ है?
उत्तर – होली का त्यौहार बसंत के आगमन और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसे एक खेल की मान्यता के रूप में भगवान कृष्ण ने दिया, जो अपनी पत्नी राधा और गोपियों, या दूधियों के साथ खेला करते थे।
होली इस वर्ष (2024) में किस दिन मनाई जायेगी ?
इस साल 2024 में होली का पर्व 25 मार्च को मनाया जायेगा।
होली के लिए कितने दिन का अवकाश दिया जाता है ?
होली के लिए 2 दिन का अवकाश दिया जाता है।
होली के दिन हमे कैसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए ?
सभी लोगों को होली पर बिना केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
रंगो का त्यौहार होली पर एक निबंध लिखिए। कैसे और क्यों मनाई जाती है ?
इस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगकर एक दूसरे के ऊपर रंग-गुलाल लगाते हैं। इस दिन शाम के वक्त लोग नए-नए कपड़े पहन कर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन लोगअपने घर में में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
भारत में होली अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है ?
भारत में अलग -अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होली को मनाया जाता है जैसे – हरियाणा में धुलेंडी होली, बंगाल में डोल पूर्णिमा,राजस्थान की तमाशा होली, मध्य प्रदेश की भगौरिया होली, पंजाब में होला मोहल्ला का मेला, महाराष्ट्र में रंगपंचमी आदि इसमें प्रसिद्ध हैं।
होली का इतिहास क्या है?
उत्तर – मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप की हत्या कर दी थी। क्यूंकि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और उसका पुत्र प्रह्लाद भगवन विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका नाराज होकर प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। होलिका आग में भस्म हो गई। तभी से इस त्यौहार की मान्यता होली के रूप में है।
होलिका दहन किस दिन किया जाता है?
होलिका दहन फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है.
होलिका को कौन सा वरदान मिला था?
अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था.
होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं ?
होली पर सभी लोग अपने घरों में गुझिया, पापड़, नमकीन, मिठाई, आदि पकवान बनाते हैं।
होली पर हमे कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना होता है ?
होली मनाते समय लोगों को कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए जिसकी सूची नीचे दी जा रही है।
- होली मनाते समय सभी लोग कांच वाले रंगों का प्रयोग ना करें।
रोड पर चलते वाहनों पर पानी से भरे गुब्बारों व पिचकारी को ना मारे। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। - होली खेलते समय अपनी आँखों को बचाये व रंगों को लगाते समय चश्मे का प्रयोग करें.
- होली के दिन ऐल्कोहॉल का सेवन कर के वाहनों को ना चलाएं.
होली का क्या महत्व है?
होली का महत्व - बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक होली का सामाजिक महत्व भी है। यह एक ऐसा पर्व होता है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन अगर किसी को लाल रंग का गुलाल लगाया जाए तो सभी तरह के मनभेद और मतभेद दूर हो जाते हैं। क्योंकि लाल रंग प्यार और सौहार्द का प्रतीक होता है।
इन पोस्ट को भी पढे :-
Post a Comment